Wednesday 28 July 2021

 #mimi #FilmReview 

ऑनलाइन लीक होने के कारण पुराने तय समय से पहले देख पा रहे। फिल्म पहले 30 जुलाई को रिलीज होनी थी लेकिन लीक होने के बाद आनन-फानन में इसे 26 जुलाई की शाम को Netflix पर रिलीज कर दिया गया।


फिल्म की USP : नए प्लॉट/नई विषय पर बनी है फिल्म, जो परंपरा बॉलीवुड से गायब होता जा रहा। हालांकि ये मराठी फिल्म #माला_आई_व्हायचय की रिमेक है, फिर भी बॉलीवुड के लिए बिल्कुल नई है।

फिल्म में कभी पश्चिमी देशों के लिए भारत एक फैक्ट्री और यहां के लोगों के लिए व्यापार बन चुके #सेरोगेसी से जुड़ी एक कहानी को भावनात्मक एवं संवेदनशील रूप में दिखाई गई है।


अभिनय : सीधे शब्दों में कहें तो Kriti Sanon ने कमाल किया है। साधारण कहानी और साधारण किरदार को जीवंत कर दिया है। फिल्म में Pankaj Tripathi के होते हुए कृति ज्यादा #रियलिस्टिक लगी है। यह फिल्म दिखाता है कि कृति, Taapsee Pannu के लिए कड़ी प्रतिद्वंदी है, हर प्रकार के किरदार निभा सकती और फिल्म को अपने दम पर संभाल सकती है।

पंकज त्रिपाठी हमेशा कि तरह कमाल लगें है। कृति के साथ उनकी एक जोड़ी बन गई है जो दर्शकों को भाती है।

पंकज त्रिपाठी के दो डायलॉग "1. कभी कभी आसान हो जाता है मर जाना और मुश्किल होता ज़िंदा रहना। जीना, समाज से लड़ना, अपने आप से लड़ना, अपने सपनों से लड़ना, युद्ध करते रहना" और #2. ड्राइवर हूं..हमारा एक उसूल है, जब पैसेंजर को बिठा लिया तो मंजिल तक छोड़े बगैर वापस नहीं लौटते, हां कभी रास्ते खराब होते है बीच में गड्डे, एक्सीडेंट..इसका मतलब ये थोड़ी ना है कि अपने लोगों को बीच में छोड़ दें।"  दिल को छू जाते और याद रह जाते है।

बेहतरीन अभिनय ने यहीं ड्राइवर वाला काम फिल्म के लिए किया है। Manoj Pahwa , Supriya Pathak , Sai Tamhankar आदि बाकी सारे किरदार भी अच्छे लगे है। फिल्म में अमेरिका जोड़े का किरदार निभाने वाले अमेरिकन अभिनेत्री Evelyn Edwards और Aidan Whytock ने भी बढ़िया काम किया है।


फिल्म की शुरुआत शानदार है लेकिन जैसे-जैसे कहानी के बीच में पहुंचते है फिल्म बहुत धीमी और थोड़ी बोझिल लगने लगती है, फिर क्लाइमैक्स से पहले फिल्म रफ्तार पकड़ लेती है।

बीच में पटकथा(स्क्रीनप्ले) बहुत ही कमजोर लगा है, जिसके कारण सीन आकर्षक नहीं बन पाए है। निर्देशक ने भी बीच में फिल्म को पूरी तरह कलाकारों पर छोड़ दिया है। निर्देशक Laxman Utekar जिन्होंने फिल्म में कहानी, स्क्रीनप्ले पर भी काम किया है, सभी क्षेत्रों में समान न्याय नहीं कर पाए है। फिल्म थोड़ी लंबी लगी है, 15-20 मिनट कम किया जा सकता था।


संगीत : A.R Rehman का संगीत बढ़िया है। 'परम सुंदरी' गाना पहले से सुपर हिट था और Ganesh Acharya के कोरियोग्राफी ने इस गाने से फिल्म में कृति की ग्रैंड एंट्री कराया है।

फिल्म के कहनी के अनुसार Kailash Kher का 'छोटी सी चिरैया' और रहमान का 'रिहाई दे' सुकुनदायक लगे हैं।


Laxman Utekar और Rohan Shankar ने एक साफ सुथरी और बढ़िया फैमिली एंटरटेनर कहानी लिखी है। रोहन शंकर के डायलॉग बढ़िया है।

मुझे तो 'द फैमिली मैन' बाद अब जाकर कुछ अच्छा लगा है। एक बार तो हर हाल में देखना बनता है।


मेरे तरफ से रेटिंग : 8/10


Saturday 10 July 2021

लोक-संस्कृति और कला के धनी भिखारी ठाकुर को भूलती भोजपुरी



भोजपुरी के शेक्सपियर और कबीर कहे जाते हैं


भोजपुरी माटी की खुश्बू और भोजपुरी अस्मिता के प्रतीक भिखारी ठाकुर, भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाते हैं। मशहूर यायावर लेखक राहुल सांकृत्यायन ने भिखारी ठाकुर को भोजपुरी का शेक्सपीयर कहा था। हालांकि भिखारी ठाकुर एक अलग ही तरह के बहुमुखी व्यक्तित्व थे, और कहना ही हो, तो उन्हें भोजपुरी का कबीर बोलना ज्यादा सही होगा। अपनी कला और रचनाओं के माध्यम से समाज की कुरीतियों पर कड़ा प्रहार करने वाले भिखारी ठाकुर एक महान क्रांतिकारी थे।


18 दिसंबर 1887 को छपरा के कुतुबपुर दियारा गांव में एक निम्नवर्गीय नाई परिवार में जन्म लेने वाले भिखारी ठाकुर ने विमुख होती भोजपुरी संस्कृति को नया जीवन दिया। अपनी जमीन और अपनी जमीन की सांस्कृतिक और सामाजिक परम्पराओं तथा राग-विराग की जितनी समझ भिखारी ठाकुर को थी, उतनी किसी अन्य किसी भोजपुरी कवि में दुर्लभ है।


भोजपुरी के नाम पर सस्ता मनोरंजन परोसने की परंपरा भी उतनी ही पुरानी है, जितना भोजपुरी का इतिहास। उन्होंने भोजपुरी संस्कृति को सामाजिक सरोकारों के साथ ऐसा पिरोया कि अभिव्यक्ति की एक धारा भिखारी शैली जानी जाने लगी। आज भी सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार का सशक्त मंच बन कर जहां-तहां भिखारी ठाकुर के नाटकों की गूंज सुनाई पड़ ही जाती है।


बाबा भिखारी ठाकुर लोक कलाकार ही नहीं थे, बल्कि जीवन भर सामाजिक कुरीतियों और बुराइयों के खिलाफ कई स्तरों पर जूझते रहे। उनके अभिनय और निर्देशन में बनी भोजपुरी फिल्म ‘बिदेसिया’ आज भी लाखों-करोड़ों दर्शकों के बीच पहले जितनी ही लोकप्रिय है। उनके निर्देशन में भोजपुरी के नाटक ‘बेटी बेचवा’, ‘गबर घिचोर’, ‘बेटी वियोग’ का आज भी भोजपुरी अंचल में मंचन होता रहता है।


भोजपुरी के शेक्सपीयर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर आज इतिहास के पन्नों में सिमटते नजर आ रहे हैं। आज उन्हें केवल उनकी जयंती पर फूलमालाओं और संवेदना भरे भाषणों से याद किया जाता है। कभी समाज को आईना दिखाने वाली रचनाएं लिखने वाले लोककवि की रचनाएं और उसकी प्रासंगिकता आज संघर्ष के दौर में खड़ी है।

विराट फॉर्म का वनवास एक दिन समाप्त होगा

आज मैच देखना शुरू किया नींद आ गई, पहली पारी बीतने के कुछ देर बाद नींद खुली। स्कोर देखा तो आरसीबी ने 23 अप्रैल वाला अपना इतिहास कायम रखा था। ...