आज मैच देखना शुरू किया नींद आ गई, पहली पारी बीतने के कुछ देर बाद नींद खुली। स्कोर देखा तो आरसीबी ने 23 अप्रैल वाला अपना इतिहास कायम रखा था।
Sanny Kumar Mishra
Saturday 23 April 2022
विराट फॉर्म का वनवास एक दिन समाप्त होगा
आज मैच देखना शुरू किया नींद आ गई, पहली पारी बीतने के कुछ देर बाद नींद खुली। स्कोर देखा तो आरसीबी ने 23 अप्रैल वाला अपना इतिहास कायम रखा था।
Saturday 30 October 2021
धोनी के वो 10 छक्के और नाबाद 183 रन
आज ही के दिन 16 साल पहले 31 अक्टूबर 2005 को श्रीलंका के खिलाफ धोनी ने नाबाद 183 रन बनाए थे।
बहुत छोटे थे तब अक्सर इस उम्र की बातें याद नहीं रहती पर मेरे साथ उल्टा है। मुझे पुरानी बातें सचित्र याद रहती और रोजमर्रा की बातें भूलते रहते है। वो मैच हम रेडियो पर सुन रहे थे ईंट पर बैठ कर...आसपास के चाचा-बाबा लोग और मेरे बाबा जो क्रिकेट के बहुत बड़े प्रशंसक थे, एक भी मैच नहीं छोड़ते और मेरे अंदर भी क्रिकेट के प्रति दीवानगी उन्हीं की देन है।
बात करें उस मैच की तो श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 298 रन का तब के समय के लिए पहाड़ जैसा स्कोर खड़ा किया था। ओपनर कुमार संगकारा ने ताबड़तोड़ और नाबाद शतकीय पारी खेली थी।
लक्ष्य का पीछा करते हुए धोनी ने 145 गेंदों पर नाबाद 183 रन बनाए। तब शतक और 183 रन के बड़े व्यक्तिगत स्कोर से ज्यादा खुशी इस बात की थी कि धोनी ने उस पारी में शानदार 10 छक्के लगाए थे और हेलीकॉप्टर शॉट का जलवा बिखेरा था। श्रीलंका के दो महान और खतरनाक अनुभवी गेंदबाजों चमिंडा वॉश और मुथैया मुरलीधरन की खूब धुनाई की थी।
धोनी द्वारा 9 छक्के लगाने के बाद अंत में जीत से पहले भगवान से दुआ कर रहे थे की 10 वां छक्का लगाए..जब मारा तो उछलने लगे थे..फिल्म की तरह याद है वो पल..जीवन में पहली बार किसी बल्लेबाज को एक पारी में 10 छक्के लगाते देखा।
महीनों उसकी चर्चा होती रही। क्रिकेट के हर बहस में इसका जिक्र मिल ही जाता। धोनी के खेलने के अंदाज, हेयरस्टाइल, बल्ले आदि हर एक चीज का के बारे में लोग बहुत रुचि के साथ सुनते थे। फिर उसके बाद वैसी चर्चा मैंने 2007 और 2011 के विश्वकप जीत तथा सचिन के दोहरा शतक लगाने पर ही सुनी। आज क्रिकेट को लेकर वो दीवानगी कहां...!
Monday 20 September 2021
104 फीट ऊंचा 400 फीट परिधि वाला विश्व का सबसे ऊंचा स्तूप ,सरकारी उपेक्षा का शिकार
विश्व का सबसे ऊँचा स्तूप है केसरिया बौद्ध स्तूप :
केसरिया बौद्ध स्तूप की ऊंचाई आज 104 फीट है और इसकी परिधि लगभग 400 फीट है। इसलिए इसे विश्व का सबसे ऊंचा स्तूप होने का गौरव प्राप्त है। इस बेहतरीन ढाँचे को भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा साल 1998 में खोजा गया था।
बौद्ध स्तूप में लगी ईटें मौर्य कालीन है। सभी मूर्तियां विभिन्न मुद्राओं में है। 1861-62 में इस स्तूप के संबंध में कर्निघम ने लिखा हैं कि केसरिया का यह स्तूप 200 ईसा से 700 ईसा के मध्य बना है। चीनी यात्री फाहियान के अनुसार केसेरिया के देउरा स्थल पर भगवान बुद्ध अपने महापरिनिर्वाण के ठीक पहले वैशाली से कुशीनगर जाने वक्त एक रात का विश्राम किया था तथा साथ आये वैशाली के भीक्षुओं को अपना भीक्षा पात्र प्रदान कर कुशीनगर के लिए प्रस्थान किया था।
बौद्ध स्तूप की हालत दिन पर दिन ख़राब होते जा रहा है
दुनिया में भारत को पहचान दिलाने वाला बिहार के चंपारण के केसरिया बौद्ध स्तूप की हालत दिन पर दिन ख़राब होती जा रही है। बौद्ध स्तूप धीरे-धीरे खंडहर में बदलते जा रहा है, लेकिन इसपर सरकार का ध्यान अब तक नहीं पड़ा। पिछले कई सालों से सरकार से इस स्तूप से संरक्षण की मांग की जा रही है, किंतु सिर्फ समय और सरकारें बदलती हैं, स्तूप की हालत नहीं।
बौद्ध स्तूप का बाढ़ के पानी से घिरना हर साल की समस्या है। पिछले साल भी स्तूप के प्रांगण में बाढ़ का पानी आ गया था। पानी के दबाव के कारण स्तूप के एक भाग की चारदीवारी भी गिर गई थी।
फिलहाल यह बौद्ध स्तूप काफी जर्जर हो चुका है। स्तूप के चारों तरफ जलजमाव है और पानी के बीचों बीच दुनिया का सबसे ऊंचा बौद्ध स्तूप विकास की उम्मीद लगाए बैठा है
युवाओं ने ट्वीटर पर #save_kesariyabaudhstupa ट्रेंड कराया
पिछले कुछ दिनों में चंपारण और चंपारण के भरा से भी, युवा शक्ति ने एक जुटता दिखाते हुए ट्विटर पर #save_kesariyabaudhstupa ट्रेंड कराया था। राजद ने भी अपने अधिकारिक ट्विटर हैन्डल से इसके समर्थन में ट्वीट किया था। हालाकिं इस मुहिम को केसरिया विधायक शालिनि मिश्रा के अलावा क्षेत्र के किसी अन्य नेता का सहयोग नहीं मिला। पूर्वी चंपारण संसदीय क्षेत्र से सांसद पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह और जिले के अन्य 11 विधायकों ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली। भाजपा बिहार के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष और पश्चिमी चंपारण के सांसद संजय जायसवाल ने भी इसको लेकर कोई आवाज़ नहीं उठाया।
वर्तमान डीएम और केसरिया विधायक स्तूप के विकास के लिए प्रयासरत
पूर्वी चंपारण जिले के वर्तमान डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने बौद्ध स्तूप के सौंदर्यीकरण को लेकर कदम उठाये है। स्तूप के आसपास पानी लगने की समस्या के निराकरण और स्तूप तक जाने वाले पथ का निर्माण हेतु भूमि अधिग्रहण का कार्य पूर्ण हो गया है।
शालिनि मिश्रा बिहार विधानसभा में बौद्ध स्तूप को लेकर अपनी आवाज़ भी उठाई थी लेकिन सरकार और पर्यटन मंत्रालय का इसपर कोई ध्यान नहीं गया।
Wednesday 28 July 2021
#mimi #FilmReview
ऑनलाइन लीक होने के कारण पुराने तय समय से पहले देख पा रहे। फिल्म पहले 30 जुलाई को रिलीज होनी थी लेकिन लीक होने के बाद आनन-फानन में इसे 26 जुलाई की शाम को Netflix पर रिलीज कर दिया गया।
फिल्म की USP : नए प्लॉट/नई विषय पर बनी है फिल्म, जो परंपरा बॉलीवुड से गायब होता जा रहा। हालांकि ये मराठी फिल्म #माला_आई_व्हायचय की रिमेक है, फिर भी बॉलीवुड के लिए बिल्कुल नई है।
फिल्म में कभी पश्चिमी देशों के लिए भारत एक फैक्ट्री और यहां के लोगों के लिए व्यापार बन चुके #सेरोगेसी से जुड़ी एक कहानी को भावनात्मक एवं संवेदनशील रूप में दिखाई गई है।
अभिनय : सीधे शब्दों में कहें तो Kriti Sanon ने कमाल किया है। साधारण कहानी और साधारण किरदार को जीवंत कर दिया है। फिल्म में Pankaj Tripathi के होते हुए कृति ज्यादा #रियलिस्टिक लगी है। यह फिल्म दिखाता है कि कृति, Taapsee Pannu के लिए कड़ी प्रतिद्वंदी है, हर प्रकार के किरदार निभा सकती और फिल्म को अपने दम पर संभाल सकती है।
पंकज त्रिपाठी हमेशा कि तरह कमाल लगें है। कृति के साथ उनकी एक जोड़ी बन गई है जो दर्शकों को भाती है।
पंकज त्रिपाठी के दो डायलॉग "1. कभी कभी आसान हो जाता है मर जाना और मुश्किल होता ज़िंदा रहना। जीना, समाज से लड़ना, अपने आप से लड़ना, अपने सपनों से लड़ना, युद्ध करते रहना" और #2. ड्राइवर हूं..हमारा एक उसूल है, जब पैसेंजर को बिठा लिया तो मंजिल तक छोड़े बगैर वापस नहीं लौटते, हां कभी रास्ते खराब होते है बीच में गड्डे, एक्सीडेंट..इसका मतलब ये थोड़ी ना है कि अपने लोगों को बीच में छोड़ दें।" दिल को छू जाते और याद रह जाते है।
बेहतरीन अभिनय ने यहीं ड्राइवर वाला काम फिल्म के लिए किया है। Manoj Pahwa , Supriya Pathak , Sai Tamhankar आदि बाकी सारे किरदार भी अच्छे लगे है। फिल्म में अमेरिका जोड़े का किरदार निभाने वाले अमेरिकन अभिनेत्री Evelyn Edwards और Aidan Whytock ने भी बढ़िया काम किया है।
फिल्म की शुरुआत शानदार है लेकिन जैसे-जैसे कहानी के बीच में पहुंचते है फिल्म बहुत धीमी और थोड़ी बोझिल लगने लगती है, फिर क्लाइमैक्स से पहले फिल्म रफ्तार पकड़ लेती है।
बीच में पटकथा(स्क्रीनप्ले) बहुत ही कमजोर लगा है, जिसके कारण सीन आकर्षक नहीं बन पाए है। निर्देशक ने भी बीच में फिल्म को पूरी तरह कलाकारों पर छोड़ दिया है। निर्देशक Laxman Utekar जिन्होंने फिल्म में कहानी, स्क्रीनप्ले पर भी काम किया है, सभी क्षेत्रों में समान न्याय नहीं कर पाए है। फिल्म थोड़ी लंबी लगी है, 15-20 मिनट कम किया जा सकता था।
संगीत : A.R Rehman का संगीत बढ़िया है। 'परम सुंदरी' गाना पहले से सुपर हिट था और Ganesh Acharya के कोरियोग्राफी ने इस गाने से फिल्म में कृति की ग्रैंड एंट्री कराया है।
फिल्म के कहनी के अनुसार Kailash Kher का 'छोटी सी चिरैया' और रहमान का 'रिहाई दे' सुकुनदायक लगे हैं।
Laxman Utekar और Rohan Shankar ने एक साफ सुथरी और बढ़िया फैमिली एंटरटेनर कहानी लिखी है। रोहन शंकर के डायलॉग बढ़िया है।
मुझे तो 'द फैमिली मैन' बाद अब जाकर कुछ अच्छा लगा है। एक बार तो हर हाल में देखना बनता है।
मेरे तरफ से रेटिंग : 8/10
Saturday 10 July 2021
लोक-संस्कृति और कला के धनी भिखारी ठाकुर को भूलती भोजपुरी
भोजपुरी के शेक्सपियर और कबीर कहे जाते हैं
भोजपुरी माटी की खुश्बू और भोजपुरी अस्मिता के प्रतीक भिखारी ठाकुर, भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाते हैं। मशहूर यायावर लेखक राहुल सांकृत्यायन ने भिखारी ठाकुर को भोजपुरी का शेक्सपीयर कहा था। हालांकि भिखारी ठाकुर एक अलग ही तरह के बहुमुखी व्यक्तित्व थे, और कहना ही हो, तो उन्हें भोजपुरी का कबीर बोलना ज्यादा सही होगा। अपनी कला और रचनाओं के माध्यम से समाज की कुरीतियों पर कड़ा प्रहार करने वाले भिखारी ठाकुर एक महान क्रांतिकारी थे।
18 दिसंबर 1887 को छपरा के कुतुबपुर दियारा गांव में एक निम्नवर्गीय नाई परिवार में जन्म लेने वाले भिखारी ठाकुर ने विमुख होती भोजपुरी संस्कृति को नया जीवन दिया। अपनी जमीन और अपनी जमीन की सांस्कृतिक और सामाजिक परम्पराओं तथा राग-विराग की जितनी समझ भिखारी ठाकुर को थी, उतनी किसी अन्य किसी भोजपुरी कवि में दुर्लभ है।
बाबा भिखारी ठाकुर लोक कलाकार ही नहीं थे, बल्कि जीवन भर सामाजिक कुरीतियों और बुराइयों के खिलाफ कई स्तरों पर जूझते रहे। उनके अभिनय और निर्देशन में बनी भोजपुरी फिल्म ‘बिदेसिया’ आज भी लाखों-करोड़ों दर्शकों के बीच पहले जितनी ही लोकप्रिय है। उनके निर्देशन में भोजपुरी के नाटक ‘बेटी बेचवा’, ‘गबर घिचोर’, ‘बेटी वियोग’ का आज भी भोजपुरी अंचल में मंचन होता रहता है।
भोजपुरी के शेक्सपीयर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर आज इतिहास के पन्नों में सिमटते नजर आ रहे हैं। आज उन्हें केवल उनकी जयंती पर फूलमालाओं और संवेदना भरे भाषणों से याद किया जाता है। कभी समाज को आईना दिखाने वाली रचनाएं लिखने वाले लोककवि की रचनाएं और उसकी प्रासंगिकता आज संघर्ष के दौर में खड़ी है।
Thursday 25 June 2020
बढ़ती कीमतों के पीछे छिपा है दूरदर्शी मोदी सरकार का मास्टर प्लान। आइए क्रोनॉलजी समझते है।
कच्चे तेल की जमींदोज होती कीमतों के बीच भारत में आसमान छू रही डीजल-पेट्रोल की कीमतें, लगातार 20वें दिन बढ़ोतरी।
Tuesday 2 June 2020
'बायकॉट चाइनीज' पहल के विरोध में 'मोबाइल भी फेक दो' का तर्क..
विराट फॉर्म का वनवास एक दिन समाप्त होगा
आज मैच देखना शुरू किया नींद आ गई, पहली पारी बीतने के कुछ देर बाद नींद खुली। स्कोर देखा तो आरसीबी ने 23 अप्रैल वाला अपना इतिहास कायम रखा था। ...
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आज ही के दिन 16 साल पहले 31 अक्टूबर 2005 को श्रीलंका के खिलाफ धोनी ने नाबाद 183 रन बनाए थे। बहुत छोटे थे तब अक्सर इस उम्र की बातें याद नहीं ...
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विश्व का सबसे ऊँचा स्तूप है केसरिया बौद्ध स्तूप : केसरिया बौद्ध स्तूप की ऊंचाई आज 104 फीट है और इसकी परिधि लगभग 400 फीट है। इसलिए इसे विश्...
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#mimi #FilmReview ऑनलाइन लीक होने के कारण पुराने तय समय से पहले देख पा रहे। फिल्म पहले 30 जुलाई को रिलीज होनी थी लेकिन लीक होने के बाद आनन...